मंगलवार, 17 जून 2008

फ़िर से भारत देश में

कहते हैं हम भारत वासी अपना मथुरा अपना काशी
सत्य अहिंसा की धरती पर रहते थे पहले सन्यासी
अब तो पलते हैं आतंकी न जानें किस वेष में
होती हैं हत्याएं हरदिन बापू तेरे देश में ॥
करते हैं कन्या की पूजा नवरात्रों के आने पर
नारी का दर्जा है उंचा उनके बाहर आने पर
डर डर कर रहती हैं दोनों अपने ही परिवेस में
रोती हैं ललनाएं कितनी बापू तेरे देश में ॥
बुरा न देखो बुरा न सोचो बुरा न बोलो कहते थे
अपने अधिकारों की खातिर अनुशासन में रहते थे
तोड़ रहे हैं आज उसी को आकर कुछ आवेश में
अंधियारा गहराया अब तो बापू तेरे देश में ॥
कहाँ गया ईमान हमारा जिसके बल पर चलते थे
भूल गए बलिदान तुम्हारा जिसका दम हम भरते थे
बतला दो तुम कब आओगे वापस अपने देश में
इंतजार है बापू तेरा फ़िर से भारत देश में ॥

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