मंगलवार, 17 जून 2008

आज का युवा

मोटा चस्मा बिखरे बाल
मिची सी आँखें हरदम लाल
कान में छल्ला हाथ में बल्ला
बात करें वो खुल्लम खुल्ला
सुतवां ख़त और ठुड्डी काली
कपड़े जिनके जोकर वाली
कर में कंगन कान में फोन
कभी नहीं जो रहता मौन
डेटिंग वेटिंग बनती रहती
चलती गाड़ी कभी न रूकती
दिन भर रहती मुंह में चुइंगम
पूरब पश्चिम का हो संगम
मुंह खोलें तो डालें गुटका
कभी लगा लेते हैं सुटका
नृत्य करें और गायें गाना
बल्ले बल्ले ना रे ना ना
मोटी चेन तिरछे नैन
कभी न बोलें मीठे बैन
पिज्जा केक चले चहुँ ओर
इनका दिल बस मांगे मोर
नयन नशीले होठ रसीले
चाल चलें ये बल्ले बल्ले
सख्त जींस और टॉप है छोटा
मंद स्मित पर मन है खोटा
चले जमाने जग में माया
इनके जैसा युवा पाया ।

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