मंगलवार, 23 दिसंबर 2008

बयान

बयान
धुले नहीं हैं अंतुले जिनकी तेज जुबान
नजरें अब तक ऊँची कैसे देकर ग़लत बयान
देकर कोरी बयान मसीहा बनने का था सपना
ऊपर वाले से डरते हैं क्या कर लेगा अपना
ऊपर वाला शरम के मारे न जाने क्या सोचे
लेकिन निचे वाले कब तक अपने बालों को नोचे
हालत है गंभीर मगर उनको अपनी ही पड़ी है
पाक बना बैठा है पागल जिसकी सरकार अडी है
वक्त नजाकत समझो प्यारे बदलो अपनी करनी
कहते स्वयं को देश भक्त तो शर्माती है धरनी


बयान
सजग हुई सरकार अब देने लगी बयान
लगता है होने वाला है जल्दी हीं मतदान
जल्दी हीं मतदान नहीं है उनको कोई फुरसत
आतंकी पहले भी आकर दिखलाते थे फितरत
अब तक अपने आका मोहन बजा रहे थे बंशी
ताज नरीमन ओबेराय में बजी इसी से घंटी
चलो देर से आए लेकिन होगी कभी समीक्षा
जीना सबका अधिकार है नहीं कहीं से भिक्षा
युद्ध करो या कूट नीति पर बंद करो तुम रोना
घुट घुट कर जीने से अच्छा एक बार है मरना

कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में