गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

सबको मिलकर गाना है

रहम करो अब राज ठाकरे कब तक तुम भर्माओगे
अपनी हीं करनी से कल तुम जी भर कर पछताओगे
हम सब मानुस भारत भू के तुमको सीमा प्यारी है
बाहर निकलो आँखें खोलो देखो दुनियां न्यारी है
गली गली जब फूल खिलें हों फसलों की हरियाली हो
ऐसे में घर के कोने में क्यों फैली बदहाली हो ?
भाषा है भावों की नैया शब्दों की पतवार लिए
बंधन उसे बनाया तुमने बे मतलाब बल खाते हो
भारत माता तुम्हें पुकारे तोड़ो सीमा बंधन को
बदहाली से अभी बचा लो अपने सुन्दर उपवन को
वीर शिवा ने जिसको सींचा देश भक्ति के पानी से
खून बहाने को तत्पर हो क्यों अपनी मनमानी से
मुंबई हो या महाराष्ट्र सब भारत भाग्य विधाता हैं
उत्तर - दक्षिण , पूरब - पश्चिम सबकी अपनी गाथा है
नफरत मिली विरासत में अब प्यार बयार बहाना है
भारत की धरती है प्यारी सबको मिलकर गाना है
भारत की धरती है प्यारी सबको मिलकर गाना है

7 टिप्‍पणियां:

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।

KK Mishra of Manhan ने कहा…

वाकई किस्सा बेहतर है

kshama ने कहा…

Sahi kaha...yahi vichardhara honi chahiye...anek shubhkamnayen!

shama ने कहा…

Achhee awaaz uthayi hai...bas ho gaya deshko batne ka kaam,dilon me algaav laneka kaam!!!

Chandan Kumar Jha ने कहा…

स्वागत है !!!

jayanti jain ने कहा…

हम सब मानुस भारत भू के तुमको सीमा प्यारी है
बाहर निकलो आँखें खोलो देखो दुनियां न्यारी है
great bhai, welcome

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

gaya jee gaya. narayan narayan

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