बुधवार, 17 मार्च 2010

एक अपील नक्सलवादियों से

एक अपील नक्सलवादियों से

आगे आओ माओ वादी मिलकर तुमसे बात करें
काली करतूतों पर तेरी छोटा सा आघात करें
बन बैठे तुम भाग्य विधाता किसने यह अधिकार दिया
ग्रामीण हो या शहरी कोई किसने तुम्हें स्वीकार किया
खेल रहे तुम खून की होली आज अहिंसा की धरती पर
अन्धकार है तुमको प्यारी गुमनामी स्वीकार किया
क्या अपराध किया है हमने आओ उसकी बात
काली करतूतों पर तेरी छोटा सा आघात करें ||
नक्सलवादी कहलाकर तुम अपना धोंस जमाते हो
हथियारों के बल पर चलकर सबको यहाँ डराते हो
लाते हो बर्बादी हरपाल अपने ही घर आँगन में
लालच के पुतले तुम हरदिन भेद बढाते जाते हो
क्या है हालत आज हमारी आओ उसकी बात करें
काली करतूतों पर तेरी छोटा सा आघात करें ||
प्रगति के सब काम अधूरे कहाँ से आये खुशहाली
विद्यालय भवनों को तोड़ा शिक्षा में दी बदहाली
तेरी फितरत तुम ही जानो मेरा क्या इसमें लेना
जन्म भूमि जो गाँव तुम्हारे खाली क्यों करवाते हो ?
आज जहाँ तुम खड़े हो प्यारे आओ उसदी बात करें
काली करतूतों पर तेरी छोटा सा आघात करें ||
चीन नहीं है हमदम वह तो स्वार्थ साधना करता है
भारत की प्रगति को कायर सहन नहीं कर सकता है
तुम तो निकले बस एक मोहरे लाल सलाम लगाते हो
लेकिन दुश्मन छिप कर बैठा सामने आते डरता है
हो सपूत तुम मातृभूमि के आओ मिलकर बात करें
सांप सपोले जितने भी हैं उन पर एक आघात करें
समय अभी है न सम्हले तो कल को तुम पछताओगे
धरती अपनी नहीं रही तो बोलो कहाँ तुम जाओगे ?
लाओगे तुम कहाँ से शान्ति जो पहचान हमारी है
तिब्बत का क्या हाल हुआ क्या इसको भी भूल पाओगे ?
लानत भेजो उसपर जो हम सबको भरमाया है
अपने मन को रोशन कर लो अन्धकार गहराया है ||
आगे आओ माओवादी भारत की कुछ बात करें
चीन सदा से रहा है दुश्मन उसपर एक आघात करें ||

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