रविवार, 12 दिसंबर 2010

लोन

लोन इतना लीजिये जाने नहीं पड़ोस
चुकता हो आसानी से उड़े कभी न होश
उड़े कभी न होश हाथ में हरदम अपना तोता
चैन कि बंशी बजे निरंतर दादा हो या पोता
माना बदल रही है दुनिया बदले सभी नज़ारे
उलटा पुल्टा हो जाता है हर दिन हर पखवारे
लेकिन लोन के कारण देखो कितने नींद गंवाते हैं
ब्याज के ऊपर ब्याज जुड़े तो सर धुन कर पछताते हैं
ऊपर से परेशानी इतनी परिवार टूट जाता है
खर्चे पुरे ना होने पर सबका जी घबराता है
लेना तो आसान सदा से देना थोड़ा मुश्किल है
हृदय सभी का कोमल किसलय नहीं किसी का संगदिल है
यदि काम रुकता हो कोई कुछ दिन कर लो मौन
लेना हो तो ले लो लेकिन थोड़े लेना लोन

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