नए साल की नई किरण बन नई ज्योति बिखराउंगी
हूँ भारत की वीर पुत्री बन कर लक्ष्मी दिखलाउंगी
कटती गाएं , जलती बहुएँ छाया घोर अन्धेरा है
बच्चों की मुस्कान छीन कर कहते नया सवेरा है
गांधी गौतम की धरती आतंकवाद को सहन करे
भ्रस्टाचारी भरे पड़े सब कहते तेरा मेरा है
मिटा सकी न पीर पराई दीपक सा जल जाउंगी
दिखा सकी न डगर सत्य का मिटटी में मिल जाउंगी
हाथों में मेरे मशाल मन मंदिर अब उजियारा है
अपना प्रदेश क्या सारा देश हमें प्राणों से भी प्यारा है
हार नहीं स्वीकार हमें हसरत है आगे आने की
लगन लगी अब कुछ करने की यही हमारा नारा है
मिले सफलता जैसे तैसे उसको भी ठुकाराउंगी
दिखा सकी न डगर सत्य का मिटटी में मिल जाउंगी
दिखा सकी न डगर सत्य का मिटटी में मिल जाउंगी
एक भारतीय नारी
शुक्रवार, 14 जनवरी 2011
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