बुधवार, 8 जून 2011

डूबा दो इनकी तरनी

गहरे दलदल में फँसी कांग्रेसी सरकार
मर्ज भयंकर हो गया कैसे हो उपचार
कैसे हो उपचार चतुर और समझें खुद को ज्ञानी
करनी सबकी काली उसपर करते हैं मनमानी
मतिभ्रम में मनमोहन जिनका सोनिया एक सहारा
कहने को वह सबला लेकिन दिखता नहीं किनारा
मिली लूट की छुट सभी को मंत्री हो या नेता
मौज मजे में व्यापारी पर बेबस हम सब क्रेता
ऐसे में बाबाजी आकर दे गए कड़वी बूटी
अन्ना ने अनसन कर डाले लेकिन नींद न टूटी
खिसक रही है धरती निचे , छत भी उड़ता जाये
सबके सब आकंठ डूबे तो बोलो कौन बचाए ?
काला धन तो काला है पर कैसे बोलें काला ?
परदेशों में पड़ा है लेकिन है तो इनका ताला
भारतवासी भ्रम न पालो ये क्यों बदलें करनी ?
आगे आओ खुद को समझो डुबादो इनकी तरनी

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