रविवार, 19 जून 2011

बाबा जी अनशन पर बैठे साथ बहुत से लोग

काला धन वापस लाने का बना नहीं संयोग

बना नहीं संयोग जतन अब करने लगे है सारे

सरकारी अड़ियल रुख से टकराकर सब हारे


इतना धन परदेश पड़ा कि हम सब सोच न पायें
लेकिन आलम देश में ऐसा सोचें क्या हम खाएं

कर को भरते भरते सबका हालत हो गया खास्ता

बाजारों में नहीं मिलेगा आज कहीं कुछ सस्ता

आगे आकर बाबाजी ने मिल कर अलख जगाया

दिल्ली से पातंजलि पीठ तक अपना मंच सजाया

लेकिन सत्ता के अनुरागी बैठे आँखें भींचे

सोच रहे हैं भ्रष्ट लिस्ट में आ जाएँ न नीचे

लगने लगी है दिल्ली अब तो भ्रष्टाचारी ढाबा

अलख जगाने को तत्पर हैं कितने सारे बाबा








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