शनिवार, 28 अप्रैल 2012

फलसफा 

जीवन का जो फलसफा लगता है अब सफा सफा 
जीवन धन अनमोल है लेकिन सबके सब हैं खफा खफा 

उत्तम खेती माध्यम बान शिक्षा सबका एक निदान 
सदियों से चलता आया जो सबने माना इसे विधान 
लेकिन आज नहीं कुछ ऐसा सबके ऊपर आया पैसा 
रिश्वतखोरी या हो चोरी सबने माना इसे प्रधान 
दान धर्म की बात न करना मिले नहीं अब कहीं वफ़ा 
जीवन का जो फलसफा लगता है अब सफा सफा 

सादा जीवन उच्च विचार करना सबसे सद्व्यवहार 
बचपन से सुनता आया पर बदल गया सब फिर एक बार 
दकियानूसी सोच मिलेगी भड़कीले अब पहनावा 
कहते सब कुछ बदल रहा तो बदलो यह संसार 
आँखों में अब नहीं है पानी करते सब कुछ रफा दफा 
जीवन का जो फलसफा लगता है अब सफा सफा 

धमा चौकड़ी होड़ लगी है जैसे कोई मोड़ नहीं है 
कल का आलम कैसा होगा साथ सत्य भी छोड़ रही है 
मंत्र एक अपनाना होगा वापस घर को आना होगा 
संतोषम परमं सुख पाना मन के अन्दर शोर यही है 
जो भी इसको अपना लेगा करके सब कुछ रफा दफा 
जीवन धन मिल जाएगा और नहीं रहेगा खफा खफा 

 जीवन का जो फलसफा होगा फिर न रफा दफा 
जीवन का जो फलसफा होगा फिर न रफा दफा 


2 टिप्‍पणियां:

mohit kumar ने कहा…

achhi kavita h sir....zindagi badal rahi h sabki....

aapka student.
mohit kumar
XII-A batch-2011-12

नागेन्द्र पाठक ने कहा…

Mohit tum aaj kal kyaa kar rahe ho? agar free ho to school men aate kyon nahin ek baar milne ke liye.

ब्लॉग आर्काइव

मेरे बारे में