शराबी
अद्धे से श्रद्धा किया पौवे से जब प्रेम
परदेशी देसी मिले लेकिन शाम की टेम
लेकिन शाम की टेम टमाटर खीरा का हो चखना
साथ में सोडा , ठंढा पानी बोतल लाकर रखना
पास ही पाकेट भी सुटके का जम जाये जो महफ़िल
कुछ दिन या कुछ वर्षों ही मिल जायेगी मंजिल
किसी सड़क पर होगा एक दिन अपना नया नजारा
बिखरे बाल व्यस्त सब कपडे जैसे कोई बेचारा
एक एक कर तन में होगी हर दिन नई बिमारी
लोग कहेंगे बड़े अदब से देखो विपदा ने मारी
राशन पानी नहीं बचेंगे होगा घर में फांका
माथे पर जो चोट लगे तो लगेगा उस पर टांका
समय से पहले सम्हल गया तो होगी नहीं खराबी
वर्ना बेजुबान बोलेंगे आया एक शराबी ||
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