बनिया ब्राह्मण राजपूत
राजनीति के नए अछूत
उनकी किसको है परवाह
चाहे निकले मुंह से आह
लोकतंत्र में दोयम दर्जा
चुका रहे बरसों का कर्जा
भूल हुई क्या कहो हमारी
मारी गई है मति तुम्हारी
आरक्षण एक हद तक अच्छा
लेना उसको बन कर सच्चा
लेना उसको बन कर सच्चा
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