कलमाड़ी को वापस लाओ राजा करो बहाल ।
भ्रष्टाचार बढ़ाकर फिर से सबको करो बेहाल ।।
डीजल कर दो दुगने कीमत गैस बना दो भारी ।
जातिवादी अजगर छोडो कर लो सब तैयारी ।।
आरक्षण की आग जला कर संको अपनी रोटी ।
जनता का क्या ! हरदम रही है इसकी किस्मत खोटी ।।
चिंतन कर लो चांदी काटो क्यों कर चिंता करना ?
अरबों खरबों बना लिया तो फिर का डरना ?
है चुनाव चौदह में तबतक होगा नया नजारा ।
त्राही त्राही मचने दो कुछ दिन देंगे तभी सहारा ।।
राजनीति कहते हैं इसको अर्थनीति का साथी ।
इसीलिए तो प्रजातंत्र बन गया भयंकार हांथी ।।
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