गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

काँग्रेसी भाई


महंगे डीजल ने किया सबका काम तमाम 

दिन महीने हर पखवाड़े बढ़ता जाए दाम 


बढ़ता जाए दाम दया के पत्र बने हम सारे 


सरकारी निर्णय के आगे हम सब देखो हारे 


न जाने किस खेत की मूली मनमोहन की माया

 
छीन रहा सुख चैन सभी का उनकी पतली काया 


बजट से पहले बजट बनाया बजट बचाएं कैसे ?


आयेगा जब बजट बहादुर उससे बचेंगे कैसे ?


भ्रष्टाचार हुआ जो इतना कौन करे भरपाई ?


अब तुम वापस कभी न आना हे काँग्रेसी भाई ॥

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