मंगलवार, 12 अगस्त 2014

फिजूल खर्ची 
एक दिन एक कंजूस आदमी अपने बेटे के लिए एक चश्मा लेकर आया । दूसरे दिन वह बैठा कुछ सोच रहा था । 
कंजूस :  क्यों बेटे क्या तुम पढ़ाई कर रहे हो ?
बेटा : नहीं पिताजी । 
कंजूस : क्या कुछ लिख रहे हो ? 
बेटा  :  नहीं पिताजी । 
कंजूस : (गुस्से से ) तुम्हारी यही फिजूल खर्ची मुझे पसंद नहीं । यदि कुछ नहीं कर रहे तो चस्मा उतार कर रख क्यों नहीं देते ?  

कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में