जीवन जैसे बुलबुला
चार दिनों का वक्त मिला
उसकी चाहत चलती जाये
पल में पानी में मिला
जीवन जैसे बुलबुला
जीवन जैसे बुलबुला
चार दिनों का वक्त मिला
उसकी चाहत चलती जाये
पल में पानी में मिला
जीवन जैसे बुलबुला
हव़ा में सभी, हम सभी में हव़ा है
हव़ा जो नहीं, सब हव़ा हीं हव़ा है
हव़ा जो चली, हम हव़ा हो लिए पर
नहीं हाथ कुछ भी, हव़ा तो हव़ा है
कीमत जब पेट्रोल की सुरसा बनती जाये
जाने ही अनजाने सबके मुहँ से निकले हाय
करते जाते हैं सदा मर्म स्थल पर चोट
कल वे कैसे मांगेंगे आकर हमसे वोट ?
नागेन्द्र पाठक ( दिल्ली )