KAVITAYEN
जीवन जैसे बुलबुला
चार दिनों का वक्त मिला
उसकी चाहत चलती जाये
पल में पानी में मिला
कहाँ से चले हम कहाँ आ गये हैं ?
नहीं कुछ पता हम कहाँ जा रहे हैं
मंजिल मिले या भटकना पड़े पर ,
पहुंचना है एक दिन जहां जा रहे हैं