गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

काँग्रेसी भाई


महंगे डीजल ने किया सबका काम तमाम 

दिन महीने हर पखवाड़े बढ़ता जाए दाम 


बढ़ता जाए दाम दया के पत्र बने हम सारे 


सरकारी निर्णय के आगे हम सब देखो हारे 


न जाने किस खेत की मूली मनमोहन की माया

 
छीन रहा सुख चैन सभी का उनकी पतली काया 


बजट से पहले बजट बनाया बजट बचाएं कैसे ?


आयेगा जब बजट बहादुर उससे बचेंगे कैसे ?


भ्रष्टाचार हुआ जो इतना कौन करे भरपाई ?


अब तुम वापस कभी न आना हे काँग्रेसी भाई ॥

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

असमंजस में दिल्ली

जर्जर भवन बनी अब कांग्रेस हिलने लगे हैं खम्भे 

भ्रष्टाचारी  घास  उगे हैं कितने लम्बे लम्बे  ? 
टपक  रहा छत उखड़े प्लास्टर डर पैदा करते हैं 
करो  प्रार्थना   मिलकर सारे जय जननी जगदम्बे ।।
कड़ कड़ करते हैं किवाड़  जब उनको कोई खोले 
घर वाले बेखबर पड़े सब कितना कोई बोले 
उचल रहे कुछ चूहे चूं चूं खोद रहे जो जड़ को 
राजा बाजा बजा गए अब नैया डग मग डोले ।।
सारा कुनबा पडा उसी में क्या करे सोनियाँ गांधी ?
किया मरम्मत बार बार आशा की डोरी बाँधी  
लेकिन रिश्वत के छींटों नें किया दीवारें जर्जर 
ऊपर से दिग्विजय हमारे चले चलाने आंधी ।।
मनमोहन चुपचाप सदा से महिमा बड़ी निराली 
नीलकंठ बन  बैठे वे अब पीकर विष की प्याली 
कोलब्लाक आबंटन हो या टूजी  बड़ा घोटाला 
उनका तो कुछ हुआ नहीं पर अपना पॉकेट खाली ।।
तारनहार विचार किया तो मिल गई उनको माया 
आ बैठी उस छत के ऊपर लेकर भरकम काया 
बांध लिया एक और मुलायम हिलते डुलते खम्भे से 
भारत माता क्या कर लेगी कहाँ मिलेगी छाया ?
राहुल बाबा के कंधे पर टिका दिया है बल्ली 
एक हाथ में डंडा जिनके एक हाँथ में गिल्ली 
बोल रहे बडबोले जैसे आगम निगम न जाने 
कर्णधार कहते सब उनको असमंजस में दिल्ली ।।  

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

बचपन चाहे जिसका भी हो , होता बड़ा सुहाना है ।
धमा चौकड़ी खेल तमाशा , खुशियों का पैमाना है ।।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

मेरे बारे में