कितना भागें भाग भाग कर थक गए मेरे पाँव
इस चक्कर में शहर जो आया छूटा प्यारा गाँव
छुटा प्यारा गाँव याद आती है उसकी गलियाँ
ऊपर से सर्दी का मौसम और मटर कि फलियाँ
ऊँचे पर्वत बहती नदियाँ फैली थी हरियाली
मिला बहुत कुछ यहाँ मगर अपनी तो झोली खाली
धुंआ धक्कड़ और प्रदुषण गला काट स्पर्धा
जीवन में अभाव वहां पर लेकिन मन में श्रद्धा
सोच हमारी हो सकती है औरों से कुछ हट कर
नाते रिश्ते पड़े किनारे रहते हैं हम कट कर
सरसों पालक चना चबेना फलते थे जब बेर
थोड़ी कसरत और मसक्कत लग जाते थे ढेर
आज यहाँ पैसा पाकेट में लेकिन क्या कुछ लायें
महंगाई कुछ ऐसी बढ़ गई सर धुन कर पछ्ताएं
हाल बड़ा बेहाल हुआ अब कोई हमें बचा ले
राह बची हो कोई तो फिर उस पर रौशनी डाले
किसकी बोलेन किसकी सोचें सबने मन में ठानी
कल हो जाए कितना दुखकार करते हैं मनमानी
आज के गाँव की भी सुन लो बदले सभी नज़ारे
होठों पर मुस्कान नहीं पर नयन सभी कजरारे
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
रविवार, 12 दिसंबर 2010
लोन
लोन इतना लीजिये जाने नहीं पड़ोस
चुकता हो आसानी से उड़े कभी न होश
उड़े कभी न होश हाथ में हरदम अपना तोता
चैन कि बंशी बजे निरंतर दादा हो या पोता
माना बदल रही है दुनिया बदले सभी नज़ारे
उलटा पुल्टा हो जाता है हर दिन हर पखवारे
लेकिन लोन के कारण देखो कितने नींद गंवाते हैं
ब्याज के ऊपर ब्याज जुड़े तो सर धुन कर पछताते हैं
ऊपर से परेशानी इतनी परिवार टूट जाता है
खर्चे पुरे ना होने पर सबका जी घबराता है
लेना तो आसान सदा से देना थोड़ा मुश्किल है
हृदय सभी का कोमल किसलय नहीं किसी का संगदिल है
यदि काम रुकता हो कोई कुछ दिन कर लो मौन
लेना हो तो ले लो लेकिन थोड़े लेना लोन
चुकता हो आसानी से उड़े कभी न होश
उड़े कभी न होश हाथ में हरदम अपना तोता
चैन कि बंशी बजे निरंतर दादा हो या पोता
माना बदल रही है दुनिया बदले सभी नज़ारे
उलटा पुल्टा हो जाता है हर दिन हर पखवारे
लेकिन लोन के कारण देखो कितने नींद गंवाते हैं
ब्याज के ऊपर ब्याज जुड़े तो सर धुन कर पछताते हैं
ऊपर से परेशानी इतनी परिवार टूट जाता है
खर्चे पुरे ना होने पर सबका जी घबराता है
लेना तो आसान सदा से देना थोड़ा मुश्किल है
हृदय सभी का कोमल किसलय नहीं किसी का संगदिल है
यदि काम रुकता हो कोई कुछ दिन कर लो मौन
लेना हो तो ले लो लेकिन थोड़े लेना लोन
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