एक दिन एक कंजूस आदमी अपने बेटे के लिए एक चश्मा लेकर आया । दूसरे दिन वह बैठा कुछ सोच रहा था ।
कंजूस : क्यों बेटे क्या तुम पढ़ाई कर रहे हो ?
बेटा : नहीं पिताजी ।
कंजूस : क्या कुछ लिख रहे हो ?
बेटा : नहीं पिताजी ।
कंजूस : (गुस्से से ) तुम्हारी यही फिजूल खर्ची मुझे पसंद नहीं । यदि कुछ नहीं कर रहे तो चस्मा उतार कर रख क्यों नहीं देते ?