गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

 सोमालिआ के पथ पर भारत 


दुनियाँ में आये  हैं तो जीना हीं पडेगा | 
जीवन है अगर जहर तो पीना हीं  पडेगा ॥ 

 हाँ , आज  भारत कि स्थिति कुछ ऐसी हीं हो गई है  । 
 कहने को हम उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं,
 परन्तु निरंतर इसका उलटा होता जा रहा है ।
 कहाँ तो हम महा  चले थे , वहीँ डालर ने एक झटके
 में हमें जमीन पर ला पटका,  और हमारा रुपया औंधे 
मुंह पड़ा कराह रहा है । आज बैठे बिठाये हमारी क्रय शक्ति 
में २५% कि कमी आ गई ।  ........ aur bhi

बुधवार, 27 मार्च 2013

सी . बी . आई.

आई आई सी . बी . आई.

बच कर रहना मेरे भाई 

जय हो जय हो जय कांग्रेसी 


जय जय बोलो सोनिया माई ॥ 



जो नहीं हुआ यहाँ नतमस्तक 

अपना हो या हो कोई दत्तक 


समझो आई उसकी शामत

 
फन फैलाता है यह तक्षक


समझ स्वयं आका के तेवर 


पकडे उन सबकी परछाई 


जय हो जय हो जय कांग्रेसी 


जय जय बोलो सोनिया माई ॥


मान गए मनमोहन प्यारे 

हर दिन देखे नए नज़ारे

पिघल गए करुणा के तेवर

मस्त मुलायम भी अब हारे

छापा में छप गए स्तालिन

अखिलेश्वर ने रह बनाई

जय हो जय हो जय कांग्रेसी

जय जय बोलो सोनिया माई ॥


नत मस्तक रहती है माया

पड़ी है जब से उस पर साया

छापा से पहले दस जनपथ

जाकर उसने अलख जगाया

राजनीति की रीत पुरानी

इंदिरा जी ने स्वयं बनाई

जय हो जय हो जय कांग्रेसी

जय जय बोलो सोनिया माई ॥

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

काँग्रेसी भाई


महंगे डीजल ने किया सबका काम तमाम 

दिन महीने हर पखवाड़े बढ़ता जाए दाम 


बढ़ता जाए दाम दया के पत्र बने हम सारे 


सरकारी निर्णय के आगे हम सब देखो हारे 


न जाने किस खेत की मूली मनमोहन की माया

 
छीन रहा सुख चैन सभी का उनकी पतली काया 


बजट से पहले बजट बनाया बजट बचाएं कैसे ?


आयेगा जब बजट बहादुर उससे बचेंगे कैसे ?


भ्रष्टाचार हुआ जो इतना कौन करे भरपाई ?


अब तुम वापस कभी न आना हे काँग्रेसी भाई ॥

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

असमंजस में दिल्ली

जर्जर भवन बनी अब कांग्रेस हिलने लगे हैं खम्भे 

भ्रष्टाचारी  घास  उगे हैं कितने लम्बे लम्बे  ? 
टपक  रहा छत उखड़े प्लास्टर डर पैदा करते हैं 
करो  प्रार्थना   मिलकर सारे जय जननी जगदम्बे ।।
कड़ कड़ करते हैं किवाड़  जब उनको कोई खोले 
घर वाले बेखबर पड़े सब कितना कोई बोले 
उचल रहे कुछ चूहे चूं चूं खोद रहे जो जड़ को 
राजा बाजा बजा गए अब नैया डग मग डोले ।।
सारा कुनबा पडा उसी में क्या करे सोनियाँ गांधी ?
किया मरम्मत बार बार आशा की डोरी बाँधी  
लेकिन रिश्वत के छींटों नें किया दीवारें जर्जर 
ऊपर से दिग्विजय हमारे चले चलाने आंधी ।।
मनमोहन चुपचाप सदा से महिमा बड़ी निराली 
नीलकंठ बन  बैठे वे अब पीकर विष की प्याली 
कोलब्लाक आबंटन हो या टूजी  बड़ा घोटाला 
उनका तो कुछ हुआ नहीं पर अपना पॉकेट खाली ।।
तारनहार विचार किया तो मिल गई उनको माया 
आ बैठी उस छत के ऊपर लेकर भरकम काया 
बांध लिया एक और मुलायम हिलते डुलते खम्भे से 
भारत माता क्या कर लेगी कहाँ मिलेगी छाया ?
राहुल बाबा के कंधे पर टिका दिया है बल्ली 
एक हाथ में डंडा जिनके एक हाँथ में गिल्ली 
बोल रहे बडबोले जैसे आगम निगम न जाने 
कर्णधार कहते सब उनको असमंजस में दिल्ली ।।  

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

बचपन चाहे जिसका भी हो , होता बड़ा सुहाना है ।
धमा चौकड़ी खेल तमाशा , खुशियों का पैमाना है ।।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

आरक्षण की आग में जल गए     

          दीन-ईमान 

भ्रष्टाचारी सबके सब बन बैठे  

                                                 

                                          धनवान 

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

















आदर दो जब बड़ों को छोटों को भी प्यार |

उस दिन देखो हो जाएगा दुनिया का श्रृंगार ||

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

                                                         धर्म आचरण करने से व्यसन दूर हो जाते हैं । 
व्यसन मुक्त जीवन होने से बिगड़े भी बन जाते हैं ।।

सोमवार, 21 जनवरी 2013

                                                         



छोटे को छोटा नहीं , समझो आप सामान । 
न जाने किस रूप में देगा वह सम्मान ।।

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013


                                                                   है विस्मयकारी स्थिति हर मन अचंभित है।।
                                                                    मनमोहन! उठो अब शस्त्राग्रह और युद्घ करो।
            शत्रु रण में खड़ा है, सारा भारत आंदोलित है।

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

कांग्रेसी एजेंडा 

कलमाड़ी को वापस लाओ राजा करो बहाल ।
भ्रष्टाचार बढ़ाकर फिर से सबको करो बेहाल ।।
डीजल कर दो दुगने कीमत गैस बना दो भारी ।
जातिवादी अजगर छोडो कर लो सब तैयारी ।।
आरक्षण की आग जला कर संको अपनी रोटी । 
जनता का क्या ! हरदम रही है इसकी किस्मत खोटी ।।
चिंतन कर लो चांदी काटो क्यों कर चिंता करना ? 
अरबों खरबों बना लिया तो फिर  का  डरना  ?
है चुनाव चौदह में तबतक होगा नया  नजारा ।
त्राही त्राही मचने दो कुछ दिन देंगे तभी सहारा ।।
राजनीति कहते हैं इसको अर्थनीति का साथी ।
इसीलिए तो प्रजातंत्र बन गया भयंकार हांथी ।। 

ब्लॉग आर्काइव

मेरे बारे में