शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

दुनियाँ करे प्रणाम

सपने हों पुरे सभी मिले सफलता रोज
ओजस्वी जीवन मिले करो नए नित खोज
करो नए नित खोज खनकती रहे हव़ा में वाणी
'विधि' सम्मत सब काम करो तुम करना ना मनमानी
देते हैं आशीष निरंतर विधना हो अनुकूल
काँटों के आने से पहले पथ में बिखरे फूल
दिवा स्वप्न देखो नहीं भूल न होने पाए
करना न कोई काम कभी जो पीछे मन पछताए
आगे ईश्वर की कृपा बने निरंतर काम
इतने ऊँचे जा पहुँचो की दुनियाँ करे प्रणाम

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