रहम करो अब राज ठाकरे कब तक तुम भर्माओगे
अपनी हीं करनी से कल तुम जी भर कर पछताओगे
हम सब मानुस भारत भू के तुमको सीमा प्यारी है
बाहर निकलो आँखें खोलो देखो दुनियां न्यारी है
गली गली जब फूल खिलें हों फसलों की हरियाली हो
ऐसे में घर के कोने में क्यों फैली बदहाली हो ?
भाषा है भावों की नैया शब्दों की पतवार लिए
बंधन उसे बनाया तुमने बे मतलाब बल खाते हो
भारत माता तुम्हें पुकारे तोड़ो सीमा बंधन को
बदहाली से अभी बचा लो अपने सुन्दर उपवन को
वीर शिवा ने जिसको सींचा देश भक्ति के पानी से
खून बहाने को तत्पर हो क्यों अपनी मनमानी से
मुंबई हो या महाराष्ट्र सब भारत भाग्य विधाता हैं
उत्तर - दक्षिण , पूरब - पश्चिम सबकी अपनी गाथा है
नफरत मिली विरासत में अब प्यार बयार बहाना है
भारत की धरती है प्यारी सबको मिलकर गाना है
भारत की धरती है प्यारी सबको मिलकर गाना है
गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
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7 टिप्पणियां:
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।
वाकई किस्सा बेहतर है
Sahi kaha...yahi vichardhara honi chahiye...anek shubhkamnayen!
Achhee awaaz uthayi hai...bas ho gaya deshko batne ka kaam,dilon me algaav laneka kaam!!!
स्वागत है !!!
हम सब मानुस भारत भू के तुमको सीमा प्यारी है
बाहर निकलो आँखें खोलो देखो दुनियां न्यारी है
great bhai, welcome
gaya jee gaya. narayan narayan
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