बुधवार, 10 दिसंबर 2008

बोलो जय जय हिन्दुस्तान

मुंबई हो या हो आसाम, चलना सीखो सीना तान

क्षेत्रवाद का छोड़ो नारा, बोलो जय जय हिन्दुस्तान

सिरफिरे दो-चार यहाँ पर, रहते हैं गद्दार यहाँ पर

करते हैं अपनी मनमानी, मरते हैं कई बार यहाँ पर

शर्म नहीं आती है उनको, विष बुझी बातें करते हैं

मगर एकता का है बंधन, सब के सब हकदार यहाँ पर

हत्यारे तुम वोट की खातिर, क्यों बनते हो अब अनजान

श्रम के बल पर जीना सीखो, बोलो जय जय हिन्दुस्तान

इतिहास में दर्ज़ सभी हैं, करते हैं सबका सम्मान

शेर समझ मत घर के चूहे, बाहर तुम भी करो प्रयाण

करते हैं शक्ति की पूजा, सरस्वती में सदा रुझान

आराध्या रहीं हैं लक्ष्मी, मेरी, मत रहना एकदम अनजान

शान्ति का पैगाम हमारा, फिर से मत करना अपमान

क्षेत्रवाद का छोड़ो नारा, बोलो जय जय हिन्दुस्तान

विद्वानों के वंशज होकर ज़ाहिल जैसे दिखते हो

वीर शिवा की संतानों में काहिल क्यों तुम बनते हो

कद के तुम हो कद्दावर पर दिल ने क्या आकार लिया

देश तुम्हारा अपना है, फिर बेमतलब क्यों डरते हो

हाथ बढ़ाओ साथ मिलेगा, जिसका तुम्हें नहीं अनुमान

क्षेत्रवाद का छोड़ो नारा, बोलो जय जय हिन्दुस्तान

भैया तुम कहते हो जब भी, क्या मैने प्रतिकार किया

राज हमें समझा दो तुम ही, कब हमने हथियार लिया

कदम-ताल तो करना सीखो, दुनिया ही घर-आँगन है

सात समंदर पार भी देखो, कितने सारे मधुवन हैं

आओ फिर से गले लगाओ, रहें नहीं गलियाँ सुनसान

क्षेत्रवाद का छोड़ो नारा, बोलो जय जय हिन्दुस्तान

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